वाइफ स्वैपिंग के बारे में तो आपने सुना ही होगा. ये विदेशी कल्चर अब भारत में भी अपने पैर ज़माने लगा है. वाइफ स्वैपिंग में पत्नियों की अदला बदली कर उनके साथ सेक्स सम्बन्ध बनाये जाते है. ये चलन दुसरे वर्ल्ड वॉर के बाद शुरू हुआ था. जो विदेशो से होते हुए अब भारत तक पहुंच चूका है.
वाइफ स्वैपिंग (wife swapping) यानि पत्नियों का बदलना ! इस खेल में सिर्फ शादीशुदा जोड़े ही शामिल होते हैं अलग अलग मर्द अपने पति पत्नी को छोड़ कर दुसरे के साथ सेक्स करते हैं.
भारतीय समाज के लिए यह खेल एक शर्मनाक बात है लेकिन जो सेक्स को सिर्फ अपनी जरुरत, ज़िन्दगी का अंग मानते हैं उनके लिए खेल है. अपनी अपनी जगह दोनों सही है. समाज अपनी मर्यादा नैतिकता बनाए रखने के लिए समाज के सही संचालन के ऐसे सेक्स को प्रतिबंधित रखती है इसलिए समाज इसे शर्मनाक मानती है. दूसरी तरफ ऐसे लोग जिनकी सेक्स भूख ज्यादा है या अपने साथी के साथ सेक्स से संतुष्ट नहीं हैं उनकी जरुरत पूरी करने के लिए दोनों अपने जीवनसाथी के आपसी सहमती से ये काम करते हैं तो कोई बुराई भी नहीं.
ककोल्ड (cuckold) क्या है
समाज में एक शादीशुदा महिला का किसी दूसरे पुरुष के साथ संबंध बनाना एक अपराध माना जाता है। लेकिन सोचिए कि अगर पति को अपनी पत्नी को बॉयफ्रेंड के साथ रिलेशनशिप बनाने पर कोई ऐतराज ना हो बल्कि इसके उलट वह खुद ही अपनी पत्नी को इसके लिए प्रेरित कर रहा हो तो! आप शायद हैरान हो जाएं लेकिन कुछ पुरुष अपनी सेक्स लाइफ को बेहतर और रोचक बनाने के लिए पार्टनर को खुद दूसरे पुरुषों के साथ रिलेशनशिप बनाने के लिए कह रहे हैं। अब पति-पत्नी के रिश्ते में बहुत बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। अब वह इसे धोखे के तौर पर नहीं बल्कि सेक्स लाइफ के एक मजेदार पहलू और अपने पार्टनर की सेक्सुअल फ्रीडम के तौर पर ले रहे हैं।
इनसैटिबल वाइव्स के लेखक डॉक्टर डेविड जे ले बताते हैं, यह एक रोमांचकारी अनुभव होता है क्योंकि आप कुछ ऐसा कर रहे होते हैं जिस पर समाज अपनी त्योरियां चढ़ाता रहा है।
वह कहते हैं, यह समझना जरूरी हो जाता है कि जिस चीज को लोग आपत्तिजनक समझा करते थे और एक्सट्रामैरिटल अफेयर को पाप समझा जाता था, अब उसे सकारात्मक तौर पर लिया जा रहा है। अब लोग उसे आपत्तिजनक ना मानकर रोमांचकारी सेक्स लाइफ की तरह लेने लगे हैं।
ले बताते हैं, कुछ लोग अपनी पार्टनर को सेक्सुअली ऐक्टिव देख ज्यादा खुशी का अनुभव करते हैं। पुरुषों को लगता है कि जब वह अपनी पत्नियों को शादी के बंधन और प्रतिज्ञाओं से मुक्त होने की स्वतंत्रता दे रहे होते हैं बल्कि खुद इसके लिए प्रेरित कर रहे होते हैं तो वह समाज के बने-बनाए नियमों पर दोहरे तरीके से चोट कर एक बेहतर भूमिका निभा रहे हैं। उन्हें लगता है कि उनकी पत्नी किसी दूसरे के साथ संबंध तो बना रही है लेकिन उनकी इजाजत से। इससे पति-पत्नी के रिश्ते में ज्यादा मजबूती आती है। उनके ऊपर किसी तरह का सामाजिक दबा नहीं होता है बल्कि दोनों एक-दूसरे के प्रति स्नेह और कृतज्ञता का अनुभव करते हैं।


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