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एड्स स्वयं में कोई बीमारी नहीं है। लेकिन एड्स से पीड़ित व्यक्ति का शरीर संक्रामक बीमारियों के प्रति अपनी प्राकृतिक प्रतिरोधी शक्ति खो बैठता है, जो जीवाणु और विषाणु आदि से होती हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि एच.आई.वी (वह वायरस जिससे एड्स होता है) रक्त में उपस्थित प्रतिरोधी पदार्थ लसीका-कोशो पर आक्रमण करता है।
एड्स के लक्षण और संकेत
एड्स पीड़ित के शरीर में प्रतिरोधक क्षमता कम होने से संक्रमण, यानी आम सर्दी जुकाम से ले कर क्षय रोग जैसे रोग बहुत ही आसानी से हो जाते हैं और उनका इलाज करना कठिन हो जाता हैं। एड्स की शुरुआती स्टेज में इसका पता नहीं चल पाता है और व्यक्ति को इलाज करवाने में देर हो जाती है। इसीलिए इसके शुरूआती लक्षणों के बारे में पता होना जरूरी है।
सूखी खांसी
सूखी खांसी होना एड्स के लक्षणों में शामिल है। अगर किसी को खांसी नहीं हैं लेकिन मुंह में हमेशा कफ आता रहता है। मुंह का स्वाद खराब रहता है। इसमें से कोई भी लक्षण लगने पर एच आई वी टेस्ट जरूर करवाएं।
मसल्स में खिचाव
भारी काम या शारीरिक श्रम किए बिना भी अगर किसी को मसल्स में हमेशा तनाव और अकड़न का एहसास होता है। तो यह एड्स का लक्षण होता है। तुरंत अपने चिकित्सक के पास जाएं।
थकावट महसूस होना
बिना ज्यादा काम किए पिछले दिनों से ज्यादा थकान का होना या हर समय थकावट महसूस करना एड्स का शुरुआती लक्षण हो सकता है।
गला पकना
गला पकाने की शिकायत अकसर तब होती है जब हम कम पानी पीते हैं। लेकिन अगर पर्याप्त मात्रा में पानी पीने के कारण भी गले में भयंकर खराश और पका हुआ महसूस होता है तो यह एड्स संभावित लक्षण है।
गिल्टियां होना
एड्स होने पर शरीर पर सूजन भरी गिल्टियां हो सकती हैं, खासकर यह दर्दरहित गिल्टियां गले, बगल या जांघों आदि में होती है।
वजन का धीरे-धीरे कम होना
एड्स से पीड़ित व्यक्ति का वजन एकदम से नहीं घटता लेकिन धीरे-धीरे बॉडी पर प्रभाव पड़ता है और वजन में कमी होती है। अगर किसी का वजन बिना प्रयास के कुल भार का दस प्रतिशत तक कम हो जाता है तो तुरंत चेक करवा लें।
बार-बार बुखार आना
हर दो तीन दिन में बुखार महसूस होना, बुखार का तेज होना या एक महीने से ज्यादा बुखार आना, एच आई वी का सबसे पहला लक्षण होता है।
सिर और जोड़ों में दर्द व सूजन
ढ़लती उम्र से पहले ही अगर जोड़ों में दर्द और सूजन हो जाती है या फिर सिर में हर समया हल्का हल्का दर्द रहता है। यह दर्द सुबह के समय दर्द में आराम और शाम तक दर्द बढ़ने लगता हे तो आपको एच आई वी टेस्ट करवाने की जरूरत है।
एड्स क्या है
एड्स का पूरा नाम 'एक्वायर्ड इम्यूनो डेफिसिएंसी सिंड्रोम' है। यह बीमारी एच.आई.वी. वायरस से होती है। एड्स होने पर शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है। और शरीर आसानी से कई बीमारियों की चपेट में आ जाता है।
एड्स के कारण
एड्स एच.आई.वी. पॉजी़टिव गर्भवती महिला से उसके बच्चे को, असुरक्षित यौन संबंधों से और संक्रमित रक्त या संक्रमित सुई के प्रयोग से होता है। इससे बचने के लिए जरूर सावधानियां अपनानी चाहिए।
एड्स के लक्षण
कई-कई हफ्तों तक लगातार बुखार रहना, हफ्तों खांसी आना, वजन घटना, मुंह में घाव होना, भूख न लगना, बार-बार दस्त लगना, गले में सूजन, त्वचा पर दर्द भरे और खुजली वाले चकत्ते होना, सोते वक्त पसीना आना
एड्स का निदान
एचआईवी संक्रमित व्यक्ति को जब तक एड्स के लक्षण नहीं दिखते तब तक इसका पता चलना मुश्किल है। एचआईवी पॉजिटिव होने पर 6 से 10 साल के अंदर कभी भी एड्स हो सकता है। स्क्रीनिंग टेस्ट के द्वारा एड्स का निदान हो जाता है।
एड्स से कैसे बचें
एड्स एक लाइलाज बीमारी है। आंकड़ों के अनुसार युवाओं में एचआईवी का संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है। महिलाओं में संक्रमण का दर तेजी से बढ़ रहा है। असुरक्षित यौन संबंधों से बचें, पुरानी सूई का प्रयोग न करें, संक्रमित खून का प्रयोग न करें। एड्स के बारे में जानकारी ही इससे बचने का सबसे अच्छा तरीका है।


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